राष्ट्रगान : सम्मान या अपमान ?

” जन गण मन अधिनायक जय हे….”  ये पंक्तियाँ रबिंद्रनाथ टैगोर द्वारा सन् 1911 में लिखी गई और बाद में 24 जनवरी 1950 को इसे भारत का राष्ट्रगान बना दिया गाया ।

बचपन में हम और सबने ये गाना अपनी स्कुलो की assembly में गाया है और पता नहीं क्यों ये गाना चलते ही सीना कुछ चौडा सा हो जाता है, मालूम पडता है कि हमारा देश महान है, जो कि अभी तक तो असल में नहीं है, खैर वो बाद की बात है ।School_Assembly_SPHS

पर अब हम बडे हो चुके, स्कुल कालेज सब छुट गए( मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हुँ अगर आप कोई झांट भर के विद्यार्थि हैं और इसे पढ रहे हैं तो आपके स्कुल में तो होता ही होगा राष्ट्रगान )

खैर आज कल हमें राष्ट्रगान केवल सनिमाघरों और मल्टीप्लैक्सों में सुनाई देता है, फिल्म चलने से पहले, पर इसे चलाए जाना का मूल कारण मैं व्यक्तिगत तौर पर आज तक नहीं समझ पाया ।

अभी हाल ही में मुंबई शहर में घटी एक घटना जिसमें मलटीप्लैक्स में बैठे एक परिवार की गांड फाड दी गई सिर्फ इस बात के लिए की वो राष्ट्रगान के समय खडा नहीं हुआ अपनी सीट पर । हांलाकि  देखा जाए तो संविधान में इसके लिए कोई ऐसा नियम नहीं की आपको खडा होना जरुरी ही है राष्ट्रगान के समय, पर ये सिर्फ राष्ट्रगान नहीं है, ये उन शहीदों के लिए गुणगान भी है जिन्होंने देश के लिए अंग्रेजो से लडाई की और उन्हें देश से बाहर निकाल फैंका ।  हालांकि ये गाना लिखा तो आजादी के बहुत पहले लिखा गया था, पर इस गाने को असली महत्व तो आजादी के बाद ही मिला ।

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अभी कल 30 NOV’15 ही एक और घटना सामने आई जिसमें एक मुस्लिम बच्ची ने राष्ट्रगान गाने से मना कर दिया और कह दिया कि ” ये इस्लाम के खिलाफ है ” । अब मैने इस्लाम तो नहीं पढा पर मुझे नहीं लगता कि इस्लाम में ऱाष्ट्रगान न गाने को लेकर कोई तर्क दिया गया होगा ।

हांलाकि मैने बहुत से चोदुओं के देखा है कि वो सिनेमा हाल के गेट के बाहर खडे रहेंगे पेप्सी, पापकार्न और अपनी गर्लफ्रेंड लेकर जब तक राष्ट्रगान खत्म नहीं हो जाता , कई भडवों को तो मैने सनिमा हाल के अंदर घुस के भागते हुए देखा है । खैर ऐसा करना भी कोई गुनाह नहीं है, पर ये समाज पर खासकर आने वाली नस्ल पर एक गलत संदेश देता  है ।cinema_hall

और यार अगर 52 सेकंड अपनी गांड चौडी करके नहीं खडे हो सकते तुम तो बाते भी न करो आजादी, फ्रीडम आॅफ स्पीच लौडा लसुन इत्यादी की, क्योंकि देश हित के लिए तुम 52 सेकंड नहीं दे पा रहे हो जान क्या घंटा दोगे  !

आप राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करते न सही, कम से दुसरों को ऐसा करने से न रोके और कम से कम ऱाष्ट्रगान को धर्म जात पात के तराजु पर न तौलें ।

धन्यवाद
जय हिंद

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